Saturday, 21 January 2012
Saturday, 14 January 2012
एक महत्त्वपूर्ण आग्रह - आरसीएम परिवार से
जय आरसीएम ,
आपके द्वारा कई तरह की मेल और कमेन्ट्स लगातार मिल रहे हैं लेकिन ब्लाँग की अपनी
कुछ सीमाये है जिसके चलते सभी को पबलिस करना सम्भव नही है लेकिन यह निश्चित
है कि आपके द्वारा भेजी पोस्टो और कमेन्ट्स के माधम्य से आरसीएम के पक्ष मे जो
भावनाये व्यक्त की जा रही है निश्चित रूप से उससे अन्य साथियो का मनोबल तो बढ ही
रहा है साथ ही दुनिया को यह भी पता चल रहा है कि वास्तव मे आरसीएम क्या है ?
उसकी सोच क्या है और उसके साथ कैसे लोग जुडे हुये हैं और अपने देश को इस सिस्टम
की कितनी आवश्यकता है ।
कुछ सीमाये है जिसके चलते सभी को पबलिस करना सम्भव नही है लेकिन यह निश्चित
है कि आपके द्वारा भेजी पोस्टो और कमेन्ट्स के माधम्य से आरसीएम के पक्ष मे जो
भावनाये व्यक्त की जा रही है निश्चित रूप से उससे अन्य साथियो का मनोबल तो बढ ही
रहा है साथ ही दुनिया को यह भी पता चल रहा है कि वास्तव मे आरसीएम क्या है ?
उसकी सोच क्या है और उसके साथ कैसे लोग जुडे हुये हैं और अपने देश को इस सिस्टम
की कितनी आवश्यकता है ।
अपने बहुत से साथी आज नेट के माध्यम से दुनिया से जुडे हुये है उनके ध्यान मे यह
बात लाना चाहता हूँ कि आज के समय मे फेसबुक या ईन्टेर्नेट एक ऐसा माध्यम है जिस
पर हर प्रकार के करोडो लोग विजिट करते है । इसलिए आपको उस पर कुछ भी
शेयर करने से पहले बहुत सावधानी रखने की ज़रूरत है । जैसा कि हम जानते ही है कि
अभी आरसीएम का मामला कोर्ट मे चल रहा है और अपेक्षा है कि बहुत जल्द सच्चाई
सब के सामने आएगी की आरसीएम चिटफण्ड कम्पनी नहीं हैं । इसलिये सभी को नेट पर
कुछ भी शेयर कर अपनी उपस्थिती दर्ज कराने जैसी स्थिति से बचना चाहिये । बिना पूरी
बात जाने या समझे कोई बात किसी के पक्ष या विपक्ष मे बोलने या लिखने से
बचना चाहिये न ही कोर्ट के फ़ैसले से सम्भावित कोई टिप्पणी करनी चाहिये । यदि
किसी साथी के पास कोई आगामी बैठक या योजना के सम्बन्ध मे कोई जानकारी हो
तो उसे भी उत्तेजित होकर शेयर करने की आवश्यक्ता नही है वरिष्ट साथी जब आवश्यकता
होगी उस पर निरण्य कर अपको जरूर सूचित करेगे ऐसी अपेक्षा है साथ ही कई छोटे-छोटे
अखबारो की आधारहीन खबरों को शेयर करने से बचे । जिन अख़बारों को कोई पढ़ता ही
नही है उन्हे हम खुद ही फसेबूक/नेट पर डालकर पूरे भारत मे फैला रहे है क्या यह
स्थिति हमारे लिये सही है? आप स्वयं समझ सकते हैं ।
बात लाना चाहता हूँ कि आज के समय मे फेसबुक या ईन्टेर्नेट एक ऐसा माध्यम है जिस
पर हर प्रकार के करोडो लोग विजिट करते है । इसलिए आपको उस पर कुछ भी
शेयर करने से पहले बहुत सावधानी रखने की ज़रूरत है । जैसा कि हम जानते ही है कि
अभी आरसीएम का मामला कोर्ट मे चल रहा है और अपेक्षा है कि बहुत जल्द सच्चाई
सब के सामने आएगी की आरसीएम चिटफण्ड कम्पनी नहीं हैं । इसलिये सभी को नेट पर
कुछ भी शेयर कर अपनी उपस्थिती दर्ज कराने जैसी स्थिति से बचना चाहिये । बिना पूरी
बात जाने या समझे कोई बात किसी के पक्ष या विपक्ष मे बोलने या लिखने से
बचना चाहिये न ही कोर्ट के फ़ैसले से सम्भावित कोई टिप्पणी करनी चाहिये । यदि
किसी साथी के पास कोई आगामी बैठक या योजना के सम्बन्ध मे कोई जानकारी हो
तो उसे भी उत्तेजित होकर शेयर करने की आवश्यक्ता नही है वरिष्ट साथी जब आवश्यकता
होगी उस पर निरण्य कर अपको जरूर सूचित करेगे ऐसी अपेक्षा है साथ ही कई छोटे-छोटे
अखबारो की आधारहीन खबरों को शेयर करने से बचे । जिन अख़बारों को कोई पढ़ता ही
नही है उन्हे हम खुद ही फसेबूक/नेट पर डालकर पूरे भारत मे फैला रहे है क्या यह
स्थिति हमारे लिये सही है? आप स्वयं समझ सकते हैं ।
सभी साथियो से निवेदन है कि कुछ भी लिखने या शेयर करने से पहले अपने
वरिष्ट साथियो से जरूर विचार विमर्स करें । थोड़ी सावधानी और धैर्य रखें, आशा ही
नही पूर्ण विश्वास है कि बहुत जल्द न्याय और सच्चाई की जीत होगी और आरसीएम
परिवार जनवरी की क्लोजिंग ज़रूर करेंगा निश्चित रूप से आज की परिस्थिति मे ऐसी आशा
की जा सकती है
वरिष्ट साथियो से जरूर विचार विमर्स करें । थोड़ी सावधानी और धैर्य रखें, आशा ही
नही पूर्ण विश्वास है कि बहुत जल्द न्याय और सच्चाई की जीत होगी और आरसीएम
परिवार जनवरी की क्लोजिंग ज़रूर करेंगा निश्चित रूप से आज की परिस्थिति मे ऐसी आशा
की जा सकती है
Thursday, 12 January 2012
वकीलों की हड़ताल से रुकी कार्यवाही
आज १२ जनवरी २०१२ हाई कोर्ट में चार जानो की जमानत का फैसला आने वाला था पर
वकीलों की हड़ताल की वजह से .. माननीय हाई कोर्ट फैसला नहीं सुना सका ..
फैसला हाई कोर्ट में सुरक्षित है ... .
Wednesday, 11 January 2012
सत्य परेशान तो होता है परन्तु परास्त नहीं
" सत्यमेव जयते "
सत्य का सामना करना जितना मुश्किल होता है, उस से ज्यादा सत्य की राह पर चलना होता है, हम किसी भी युग की बात करें, जब भी जिस किसी ने अपने जीवन का आदर्श सत्य के मार्ग को चुना, उस ने जीवन का भौतिक आनंद कम और परेशानियों, मुश्किलों, और अपमान का स्वाद ज्यादा चखा हैं, सत्यवादी हरिश्चंदर, महात्मा गाँधी जैसी पुन्य आत्माओं के किस्से हमारे सामने हैं।
भौतिक आनंद और आलौकिक आनंद में दिन रात का फर्क है, भौतिक आनंद में जब तक जीवन है शरीर सुख का भोग तो होता है परन्तु मन, आत्मा और स्वाभिमान कुंठित रहते हैं। जबकि आलौकिक आनंद से जीवन का लक्ष्य गद-गद होता है। आलौकिक सुख पाने के लिय जीवन की चर्या केवल सच्चाई के मार्ग पर निस्वार्थ भाव से चल कर के ही पाई जा सकती है।
सत्य का मार्ग कटीला है पर सुखदाई है, इस में परेशानी है पर पराजय नहीं, सत्य मनुष्य को परमार्थ की तरफ ले जाता है, सत्य निर्भय है, सत्य शाश्वत है, सत्य ईश्वर का रूप है, सत्य अपराजय है, सत्य सृष्टि है। सत्य की राह पर चलने वाला दुखी तो जरुर होता है परन्तु उसे अंत में जीवन का वो मुकाम मिलता है, जहाँ वह ईश्वर का पर्याय हो जाता है।
किसी महान आत्मा, विचारक और संत ने सत्य की आलौकिक परिभाष करते हुए बहुत ही सटीक कहा है:-
" सत्य परेशान तो होता है परन्तु परास्त नहीं"
फैसला कल
जय आर सी एम् .
जोधपुर हाई कोर्ट में आज 4 लोगो के जमानत पर सुनवाई हो गई है ..
फैसला कल 12 JAN 2012 को 2 बजे के लिए सुरक्षित रखा गया है
और..मुख्य केश की सुनवाई 9 JAN 2012 को होगी
बस कुछ इंतज़ार और ........
Sunday, 8 January 2012
Thursday, 5 January 2012
Tuesday, 3 January 2012
सत्य की जीत होकर रहेगी
सत्य की जीत होकर रहेगी
प्रिय सेवक,
जय आर सी एम
संसार में जितन महान व्यक्ति हुएँ हैं सबने सत्य का सहारा लिया है -सत्य
की उपासना की है | चंद्र टरै सूरज टरै टरै जगत व्यवहार के उद्घोषक राजा
हरिश्चंन्द्र की सत्य निष्ठा विश्वविख्यात है | हालांकि उन्हें सत्य के
मार्ग पर चलने में अनेक कठनाईयो के दलदल में फंसना पड़ा | राजा दशरथ ने
सत्यवचन निर्वाह के लिए अपना प्राणोत्सर्ग तक किया | महात्मा गांधी ने
सत्य की शक्ति से ही अंग्रेजों का शासन की जड़ काट दी उनका कथन है -"सत्य
एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों ज्यों सेवा की जाती है त्यों त्यों उसमें
अनेक फल आते हुए नजर आते हैं उसका अंत नहीं होता है |वस्तुतः सत्य भाषण
और सत्य पालन के अमित फल होते हैं ,इस पर ही संसार का सभी विज्ञान आधारित
है सारा मानव समाज इसी धुरी पर ही कायम है | RCM इसी सत्य पर आधारित मानव
समाज के कल्याणार्थ इस सृष्टि का प्रसाद है , जिसके द्वारा यह स्थिर है
वो परमात्मा हैँ और जिसके द्वारा यह चल रहा है वो माननीय श्री टी॰ सी॰
छाबड़ा हैँ ; इसकी जीत पक्की है ।
और कहना चाहूँगी कि~
तूफानों की कमी नहीँ है इस जीवन मेँ ,
लड़ते हुए ये सफर तय करना ।
जो मिले जख्म सफर ए राह मेँ,
उन्हेँ ही तुम जिन्दगी का तजुरबा कहना,
लाख जख्म खाने पर भी,
हर जख्म नया होगा,
तजुरबे कितने ही क्योँ न हो,
लेकिन हर सफर नया होगा ॥
आपकी सच्ची सेविका
रेखा झा, दरभंगा {बिहार}
जय आर सी एम
संसार में जितन महान व्यक्ति हुएँ हैं सबने सत्य का सहारा लिया है -सत्य
की उपासना की है | चंद्र टरै सूरज टरै टरै जगत व्यवहार के उद्घोषक राजा
हरिश्चंन्द्र की सत्य निष्ठा विश्वविख्यात है | हालांकि उन्हें सत्य के
मार्ग पर चलने में अनेक कठनाईयो के दलदल में फंसना पड़ा | राजा दशरथ ने
सत्यवचन निर्वाह के लिए अपना प्राणोत्सर्ग तक किया | महात्मा गांधी ने
सत्य की शक्ति से ही अंग्रेजों का शासन की जड़ काट दी उनका कथन है -"सत्य
एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों ज्यों सेवा की जाती है त्यों त्यों उसमें
अनेक फल आते हुए नजर आते हैं उसका अंत नहीं होता है |वस्तुतः सत्य भाषण
और सत्य पालन के अमित फल होते हैं ,इस पर ही संसार का सभी विज्ञान आधारित
है सारा मानव समाज इसी धुरी पर ही कायम है | RCM इसी सत्य पर आधारित मानव
समाज के कल्याणार्थ इस सृष्टि का प्रसाद है , जिसके द्वारा यह स्थिर है
वो परमात्मा हैँ और जिसके द्वारा यह चल रहा है वो माननीय श्री टी॰ सी॰
छाबड़ा हैँ ; इसकी जीत पक्की है ।
और कहना चाहूँगी कि~
तूफानों की कमी नहीँ है इस जीवन मेँ ,
लड़ते हुए ये सफर तय करना ।
जो मिले जख्म सफर ए राह मेँ,
उन्हेँ ही तुम जिन्दगी का तजुरबा कहना,
लाख जख्म खाने पर भी,
हर जख्म नया होगा,
तजुरबे कितने ही क्योँ न हो,
लेकिन हर सफर नया होगा ॥
आपकी सच्ची सेविका
रेखा झा, दरभंगा {बिहार}
Monday, 2 January 2012
Sunday, 1 January 2012
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